Saturday, January 4, 2025

सनातन - कैवल्य

सनातन - कैवल्य 

पहले ह्रदय खोजो, 

फिर उसकी गुहा में उतरो, 

ज्ञानाग्नि से द्वैत मिटाओ,

आत्म स्वरूप में स्थित होकर,

कैवल्य पद - सनातन को प्राप्त हो। 

यही लक्ष्य है। 

तन-मन-बुद्धि साधन है। 

सबको भीतर उतार प्रपंच भेद मिटाओ।

आत्मा बिना आँख देखता है, 

बिना कान सुनता है।

उस प्रकाश - बोध को पहचानो। 

वह हम है। 

हमारे सिवा और कुछ भी नहीं। 


क़बूल हो। 

अनुभूत कर क़बूल हो। 

क़बूल हो।


पूनमचंद 

४ जनवरी २०२५

2 comments:

  1. सत्य, लेकिन प्रारब्ध अनुसार ही गति, उपलब्धि । अंतिम ध्येय प्राप्ति पूर्व स्वधर्म, स्वकर्म ही कल्याण साधक।

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  2. प्रकाश - बोध की अनुभूति के लिए चरणबद्ध यत्न की सुंदर शिक्षा ।
    - एम पी मिश्र

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