छूटकारा किससे चाहिए?
मन की स्वार्थ वृत्ति से?
निष्काम कर्मयोग कीजिए।
जगत और उसकी वस्तु मनुष्य के मोह से?
भक्ति योग कीजिए। परमात्मा में मोह करिए।
मन में उठ रहे विचार जंजालों से?
ध्यान का राजयोग कीजिए मन को स्थिर और शांत करने।
पर शुद्ध चैतन्य में स्थित होने क्या करिएगा?
बस स्वरूप की पहचान कर लें।
प्रत्यभिज्ञा कर लें।
चिदानंदरूपों शिवोहम् शिवोहम्।
है उसे पाना नहीं है। पहचानना है।
पूनमचंद
१३ दिसंबर २०२२
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