Pages

Tuesday, May 10, 2022

Not to remove the world

 जो है उसे हटाना नहीं है। 


अक्सर हम गलती कर बैठते है। जो दिखता है उसके बाहर दूसरा कोई चमत्कार रंग दृश्य देखना चाहते है जो हमारी कल्पना या बार-बार दिये संस्कारों में हो। अब किसी के सामने खाने का थाल परोसा हो और वह उसे खाकर आनंदित होने के बदले दूसरे किसी थाल की प्रतीक्षा करें यह कैसा? शिव और उसका शिवत्व कहीं खोया नहीं है। हमारे आसपास, हम खुद उसकी विमर्श के रूप में देदीप्यमान है। इसलिए यहाँ किसी को हटाकर नया कुछ लाना नहीं है। जो है उसे नई नज़र से देखना है। हटाना कुछ भी नहीं है अपितु समावेश बढ़ाना है। सर्व समावेश तक पहुँचना है। तभी तो जाकर शिव वृत्ति, ब्रह्म वृत्ति बनेगी। जब तक वृत्ति बढ़ी नहीं, आँचल फैला नहीं तब तक कैसे धारण करोगे, अपने शिव स्वरूप को। 


सर्व समावेश ही पूर्णाहंता की चाबी है। सिद्धि चमत्कार सब बाय प्रोडक्ट है, लक्ष्य नहीं। 


पूनमचंद 

६ मई २०२२

५.५० AM

No comments:

Post a Comment