आज चुनाव है।
चुनाव में दो उम्मीदवार है। एक आपका अति परिचित जिसे आप कईं सालो जन्मों से निर्विरोध चुनते आये हो। लेकिन इस बार एक नया उम्मीदवार जो कि अब तक साक्षी बनकर सिर्फ़ देखता रहता था उसने अपना पर्चा भर दिया है। पुराने उम्मीदवार का बहुत दबाव है कि वह अपना पर्चा वापस लें लेकिन नये उम्मीदवार ने पर्चा वापस करने की तारीख़ बीता दी। इसलिए अब चुनाव होना है और आपको दोनों में से एक को चुनना है।
दो उम्मीदवार के नाम है १) कर्मात्मा २) मुक्तात्मा। पहले का चुनाव चिह्न है मोह और दूसरे का है चैतन्य।
पहले उम्मीदवार का घोषणा पत्र आप जानते ही है। कोई बदलाव नहीं है। फिर भी चुनाव है इसलिए पुनः बता देते है।
१) आपके कर्मो का हिसाब बराबर रखा जायेगा।
२) कर्मानुसार फल मिलेगा। अच्छे का अच्छा, बुरे का बुरा।
३) वैसे तो कर्म की आज़ादी दिखती है लेकिन प्रारब्ध और संचित कर्मो के हिसाब से फलानुसार आपको निहित कर्म करने होंगे और फल भोगने होंगे। इस तरह आप नियति के हवाले रहेंगे। दिखती स्वतंत्रता में आप परतंत्र है।
४) आपको मायाकृत भेद देखने में और भेदभाव से जीने की छूट है।
५) दूसरों को मिल रहे फल में दख़लंदाज़ी नहीं देनी है।
६) सुख भी मिलेगा। दुःख भी मिलेगा।
७) आपको काम क्रोध मद मोह मत्सर का साथ हंमेशा रहेगा।
८) आपका पुर्यष्टक (मन, बुद्धि, अहंकार, पाँच तन्मात्रा) कभी नष्ट नहीं होगा, इसलिए स्थूल शरीर त्यागते हुए भी आप इहलोक और परलोक की यात्रा कर पाओगे और उसके वैविध्य का अनुभव करोगे। आपका संसरण कभी समाप्त नहीं होगा।
९) आपको पाप पुण्य लगेगा इसलिए नर्क और स्वर्ग कर्मानुसार नसीब होंगे।
१०) यहाँ क़ानून और हिसाब का राज है इसलिए कृपा करूणा की आशा रखनी नहीं है।
अगर आप आपके वर्तमान जीवन से संतुष्ट हैं और भविष्य के जीवन के प्रति नियति आधारित जीवन जीने के लिए कटिबद्ध है तो मुक्तात्मा के चक्कर में मत पड़िये जो अभी तक चुपचाप खड़ा था और जिसको यह संसार चलाने का कोई अनुभव नहीं है उसकी बातों में मत आइए। कृपया आपका वोट कर्मात्मा को देकर उसे पुनः विजयी बनायें।
मुक्तात्मा के प्रवर्तक गुरू थे। उन्होंने भी घोषणापत्र प्रकाशित किया।
१) आप को मुक्ति चाहिए, स्वातंत्र्य चाहिये तो हमें वोट करे।
२) आप मोह रूपी अंधकार से मुक्त हो जाएँगे।
३) आप सुख दुःख, हानि लाभ में सम रहेंगे।
४) इसी जन्म में आपको जीवन मुक्ति मिलेगी और देह छूटते ही विदेह मुक्ति।
५) पुर्यष्टक भी लय होगा और आपका संसरण समाप्त होगा।
६) काम क्रोध मद लोभ मोह आपसे दूर भागेंगे।
७) आपके संचित कर्म समाप्त हो जायेंगे और प्रारब्ध इस जीवन तक चलेंगे।
८) आप कर्मात्मा की ग़ुलामी से आज़ाद होंगे।
९) आपको शिव की पंच शक्ति प्राप्त होगी।
१०) आप इस जन्म में खुद का शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक लाभ करोगे और औरों को भी लाभान्वित करोगे।
११) आप मोह अंधकार से छूटते ही आपका ज्ञान संकोच दूर होगा। आप विश्वमय हो जाओगे। आपके विश्वोर्तीर्ण स्वरूप का आपको ज्ञान रहेगा।
१२) आपको तीनों अवस्थाओं में तुरीया का स्वाद बना रहेगा और चिदानंद प्राप्त होगा।
१३) कला वाली सकल, प्रलयाकल, विज्ञानाकल से आप बाहर निकलोगे और शुद्ध विद्या से मंत्र, मंत्रेश, मंत्र महेश्वर की सीढ़ी चढ़ शिव पद प्राप्त करोगे।
१४) आप अनेक सिद्धियों के स्वामी बनोगे।
१५) आप ज्ञानी, दानी और मुक्त बनोगे।
१६) कितना बताये, आप जो चाहे वह करोगे क्योंकि शक्ति चक्र आपके आधिक्य में है। आप आपकी नई सृष्टि बना सकते हो।
क्या आप मेरा मुक्तात्मा का चयन करोगे? कैसे ना कह सकते हो? मैं हूँ आप खुद, स्वयं, अहं। आपका अपना स्वरूप। जिसके प्रकाश से यह सारा विश्व प्रकाशित है। जिस के अंदर श्वास प्रश्वास, सृष्टि-स्थिति-लय, जाग्रत-स्वप्न-सुषुप्ति, सुख-दुःख भाव इत्यादि उदित और लय हो रहे है। पर मैं मध्य, स्वयं प्रकाश, चिन्मात्र, नित्योदित, सदा सर्वदा वर्तमान में मौजूद हूँ। मेरे से कैसे हटोगे। मुक्तात्मा को वोट दे।
अब की बार मुक्त सरकार। 😁😜
पूनमचंद
९ मई २०२२
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