चैतन्यमात्मा।
स्थूल सूक्ष्म पर का पुतला, चैतन्य स्पन्द उदधि गाजे।
अहं आसक्त ज्ञान छुरीत, बंध संकोच चित्त परिधि बाजे।
चित्तम् मंत्र अनाहत साधे, स्रोत शाक्त निधि लाधे।
निर्मल बुद्धि दर्पण भासा, दृश्य सब रूप मेरा वासा।
एक भारी बाधा आये, रोके हरदम पूर्णोहम विमर्श।
चित्त कठोर भेद बन बैठा, कैसे करें द्रवित उस उपाय।
स्वस्थ सामरस्य की सीडी, गुरू प्रकाश मंत्र वीर्य।
सातत्य गमने अखंड अनुभव, जीव मीट बनेगा शिव।
पूनमचंद
११ अप्रेल २०२२
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