ह्रदय बीज।
यह ब्रह्मांड परमशिव का शरीर। परमशिव प्रकाशविमर्शमय। प्रकाश (शिव) और विमर्श (शक्ति)। शिव ही शक्ति। शक्ति ही शिव। शिव ही परमशिव। परमशिव ही शिव। शक्ति ही ३६ तत्वों रूप बनी है। परमशिव में उत्पन्न, पालन और संहार (लय)।
तत्वों को समझना ज़रूर पर मत भूलना कि वह है आपका शरीर। परमशिव। इदम इदम में अहम खो न जाये। इच्छा ज्ञान क्रिया का केंद्र।
सब कुछ परमशिव-शिव-शक्ति,
फिर कौन छोटा प्रमाता और कौन बड़ा। हाँ, सप्त अनुभूति की साधना है। माया के पर्दे पीछे छीपा सच को उजागर कर लेना। द्वैत और यह ३६ तत्वों का अलग अलग रूप और गुण में प्राकट्य न होता तो संसार खेल कैसे होता। खेल है और खेल के नियम है। शतक बना लो या शून्य में आउट हो जाओ।
इच्छा-ज्ञान-क्रिया-निग्रह-अनुग्रह के संकोच से आपका शिवत्व कहीं नहीं जाता। शिव, शिव ही रहेगा। हाँ करना है तो बुद्धि दर्पण को साफ़ करते रहो जहां वह सुप्रीम का प्रकाश परिवर्तित हो रहा है। उसमें खुद को देखकर ही खुद को पहचानना है। गुरू/शास्त्र बुद्धि का डस्टर है। 😊
मनुष्य शरीर है। शरीर में बुद्धि। बुद्धि ह्रदय में। ह्रदय में शिव प्रकाश। अमूल्य अवसर, अपनी पहचान (प्रत्यभिज्ञा) करने का।
स (प्रकट विश्व, ३१ तत्व, ६-३६, माया से पृथ्वी), औ (इच्छा-ज्ञान-क्रिया शक्ति, सदाशिव, ईश्वर, शुद्ध बुद्धि ), : (ऊर्ध्व और अध: बिन्दु, शिव-शक्ति) (self-his divine power).
सौ:।
ह्रदय बीज। 💐
ॐ।
परमशिव।
जीवन्मुक्त।
पूनमचंद
१ अक्टूबर २०२१
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