कालगणना में सप्तर्षि के तारों का भारी महत्व है। नक्षत्र अर्थात् जिनका क्षत, चलन न हो।यहाँ सबकुछ चलायमान है।
नक्षत्र के तारे भी चलते है लेकिन काफी धीमा। ज्योतिष के अनुसार सप्तऋषि एक नक्षत्र पर एक सौ वर्ष तक रहते हैं। आजकल सप्तऋषि कृतिका नक्षत्र पर हैं। जो मघा से 21वां नक्षत्र है।अर्थात् २१०० साल गुजरे जब सप्तर्षि तारें मघा नक्षत्र में स्थित थे। ईसा के जन्म को इस घटना से जोड़ा जा सकता है। उससे पहले २७०० साल ईसा पूर्व एक मोड़ और ५२०० ईसा पूर्व दूसरा मोड़ गुजरा। महाभारत का युद्ध उस काल खंड में हुआ था। श्री कृष्ण के जन्म का समय आज से ७३०० साल पहले निर्धारित हो जाता है। रामजी तो और पीछे जायेंगे। रामजी मनु वैवस्वत की ६३ वी पीढ़ी के थे। हमारे लेखक कालगणना छोड़ गये लेकिन सितारों के स्थान बता गये। कालगणना के आधार पर भारतीय संस्कृति प्राचीनतम नज़र आती है। गणित और खगोल, भारतीय दिमाग़ के उस वक़्त के उच्चतर विकास का द्योतक है।
पूनमचंद
१० मार्च २०२१
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